आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर हॉस्पिटल में हाल ही में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख (एचओडी) डॉ. बी.एल. स्वामी ने 8 महीने के बच्चे का पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (पीडीए) डिवाइस क्लोजर सफलतापूर्वक किया। यह प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और संवेदनशील है, विशेषकर जब यह एक नवजात या शिशु के मामले में की जाती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह प्रक्रिया क्या है, इसके महत्व और इससे जुड़े चिकित्सा ज्ञान के बारे में।

पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (PDA) क्या है?

पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (PDA) एक जन्मजात हृदय दोष है जिसमें बच्चे के जन्म के बाद भी हृदय की दो प्रमुख धमनियों — महाधमनी (Aorta) और फुफ्फुस धमनी (Pulmonary Artery) — के बीच की एक नस खुली रहती है। सामान्यतः, यह नस जन्म के कुछ समय बाद स्वाभाविक रूप से बंद हो जाती है। अगर यह नस खुली रहती है, तो इससे फेफड़ों और हृदय पर अतिरिक्त रक्त का प्रवाह होता है, जिससे फेफड़ों में तरल भराव, हृदय की थकान और शारीरिक विकास में बाधा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

पीडीए के कारण और लक्षण

  • कारण: पीडीए का प्रमुख कारण जन्मजात होता है, जो शिशु के जन्म से पहले ही हृदय के विकास में कुछ गड़बड़ी के कारण होता है। समय से पहले जन्म, आनुवंशिक कारण, और गर्भावस्था के दौरान मां के स्वास्थ्य में असामान्यताएं भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
  • लक्षण: इसके लक्षणों में तेजी से सांस लेना, थकान, पसीना आना, खराब वजन बढ़ना, और सांस में कमी शामिल हो सकते हैं।

पीडीए डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया

पीडीए डिवाइस क्लोजर एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें छाती को नहीं खोला जाता। इसके बजाय, एक छोटी कैथेटर प्रक्रिया के माध्यम से, एक विशेष डिवाइस को प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचाया जाता है और पीडीए को बंद किया जाता है।

  • कैथेटर-आधारित प्रक्रिया: इस प्रक्रिया में, एक पतली ट्यूब जिसे कैथेटर कहते हैं, बच्चे की जांघ की नस के माध्यम से हृदय तक पहुंचाई जाती है।
  • डिवाइस का उपयोग: एक छोटा सा डिवाइस कैथेटर के माध्यम से हृदय में पहुंचाया जाता है, जो पीडीए को बंद कर देता है। इस डिवाइस को विशेष रूप से इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह हृदय के प्राकृतिक ऊतक के साथ एकीकृत हो जाए।
  • फ्लोरोस्कोपी और इकोकार्डियोग्राफी: प्रक्रिया के दौरान, फ्लोरोस्कोपी (एक प्रकार की एक्स-रे) और इकोकार्डियोग्राफी का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि डिवाइस सही स्थान पर है और सटीकता से कार्य कर रहा है।

प्रक्रिया की तैयारी और सावधानियां

  • पूर्व जाँच: प्रक्रिया से पहले, बच्चे की स्थिति का व्यापक मूल्यांकन किया गया, जिसमें इकोकार्डियोग्राफी, सीटी स्कैन, और रक्त जांच शामिल थे। यह सुनिश्चित किया गया कि बच्चे की शारीरिक स्थिति प्रक्रिया के लिए उपयुक्त है।
  • संभावित जोखिम: हालांकि पीडीए क्लोजर प्रक्रिया में जोखिम कम होते हैं, लेकिन किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया की तरह इसमें भी कुछ जोखिम होते हैं जैसे कि रक्तस्राव, संक्रमण, या डिवाइस के स्थानांतरित होने की संभावना।

प्रक्रिया के बाद की देखभाल

प्रक्रिया के बाद, बच्चे की स्थिति में तेज सुधार देखा गया। हृदय की धड़कन सामान्य हो गई, और सांस लेने में होने वाली कठिनाई में भी राहत मिली।

  • ऑब्जर्वेशन और मॉनिटरिंग: प्रक्रिया के बाद, बच्चे को कुछ समय तक आईसीयू में रखा गया, जहां उसकी स्थिति की लगातार निगरानी की गई।
  • दवाइयों का उपयोग: संक्रमण से बचाव के लिए और हृदय की क्रिया को सामान्य बनाए रखने के लिए कुछ दवाओं का उपयोग किया गया।
  • फॉलो-अप: बच्चे की स्थिति की निगरानी के लिए नियमित फॉलो-अप विजिट्स की योजना बनाई गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिवाइस सही तरीके से कार्य कर रहा है और हृदय की धमनियों में कोई अवरोध नहीं है।

डॉ. बी.एल. स्वामी की विशेषज्ञता और आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर की भूमिका

डॉ. बी.एल. स्वामी और उनकी विशेषज्ञ टीम ने अत्याधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करके इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव ने इस जटिल मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • टीम की योग्यता: आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर में प्रशिक्षित और अनुभवी चिकित्सकों की एक समर्पित टीम है जो बच्चों और वयस्कों दोनों के हृदय रोगों का इलाज करती है।
  • उन्नत तकनीकी सुविधाएं: अस्पताल में नवीनतम उपकरण और तकनीकें उपलब्ध हैं, जो जटिल हृदय रोगों की पहचान और उपचार में सहायक हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This field is required.

This field is required.